AI Chatbots: AI भारत की अर्थव्यवस्था और नौकरी के ढांचे को तेजी से बदल रहा है। जहाँ एक ओर यह तकनीक सुविधा और कुशलता ला रही है, वहीं दूसरी ओर लाखों युवाओं के लिए नई चुनौतियाँ भी खड़ी कर रही है।
आने वाले साल भारत के लिए इस बदलाव की असली परीक्षा साबित होंगे।
भारत की ‘बैक ऑफिस’ पहचान अब बदल रही है
भारत लंबे समय से सस्ती मजदूरी और अंग्रेज़ी बोलने की क्षमता के कारण दुनिया का “बैक ऑफिस” माना जाता रहा है। लेकिन अब वही तकनीक — आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) — लाखों भारतीय कॉल सेंटर कर्मचारियों की नौकरियों को बदल रही है।
कई कंपनियाँ अब ऐसे AI चैटबॉट्स अपना रही हैं जो इंसानों की तरह बात कर सकते हैं और ग्राहकों की समस्याएँ हल कर सकते हैं।
AI से घट रही हैं नौकरियाँ, बढ़ रही है चिंता
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के कॉल सेंटर और कस्टमर सर्विस सेक्टर में नई भर्तियाँ बहुत कम हो गई हैं। कई कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा रहा है क्योंकि कंपनियाँ अब AI टूल्स से काम करवा रही हैं।
एक कर्मचारी ने बताया कि उसे हाल ही में नौकरी से इसलिए निकाला गया क्योंकि कंपनी ने उसकी जगह AI लगा दिया।
तेजी से बढ़ता AI कारोबार
AI चैटबॉट्स बनाने वाली कंपनियाँ जैसे LimeChat और Haptik तेजी से बढ़ रही हैं। LimeChat का दावा है कि उसके चैटबॉट्स ग्राहक सवालों का 70% काम खुद संभाल सकते हैं। इससे कंपनियों का खर्च घट रहा है और काम की गति बढ़ रही है।
नए अवसर और नई चुनौतियाँ
हालांकि AI से कुछ नौकरियाँ खत्म हो रही हैं, लेकिन इसके साथ ही AI इंजीनियरिंग, डाटा एनालिसिस और ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में नए अवसर भी बन रहे हैं। सरकार का मानना है कि तकनीक काम को खत्म नहीं करती, बल्कि उसका स्वरूप बदल देती है।
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मैं विक्रांत सोलंकी हूँ। मैंने B.Com की पढ़ाई पूरी की है और साथ ही ITI कोर्स भी किया है। मुझे नई चीजें सीखने और अपने स्किल्स को लगातार बेहतर बनाने का शौक है। मैं मेहनती, ईमानदार और समय के पाबंद व्यक्ति हूँ, और हमेशा अपने काम को पूरी जिम्मेदारी के साथ करता हूँ।
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